गुलाबी पंख की परवाज़ तारी गुलाबी पंख की परवाज़ तारी
माँ, बहन, बेटी, बहू, और पत्नी होते - होते मैं भूल ही गयी अपना अस्तित्व माँ, बहन, बेटी, बहू, और पत्नी होते - होते मैं भूल ही गयी अपना अस्तित्व
जान न्योछावर को हैं तैयार, हम और हमारे जवान सभी। जान न्योछावर को हैं तैयार, हम और हमारे जवान सभी।
बांटने के लिए कभी सरहदें होती थी, सीने में खिंची ये लकीरें खुदगर्ज़ी की है। बांटने के लिए कभी सरहदें होती थी, सीने में खिंची ये लकीरें खुदगर्ज़ी की है।
नील गगन में बादलों की तरह जो ना हो कोई चील जो ना हो कोई बाज़ तो ले लूँ मैं भी नील गगन में बादलों की तरह जो ना हो कोई चील जो ना हो कोई बाज़ तो ले लूँ मैं भी
मुझे तो मेरे दोनों बच्चों से एक सा प्यार मिला है हाँ भावनाएँ जताने में बेटियों की तरह। ... मुझे तो मेरे दोनों बच्चों से एक सा प्यार मिला है हाँ भावनाएँ जताने में बेटियो...